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बुधवार, 27 मई 2009

सेहत के लिए जरूरी है नींद



जिंदगी के लिए आहार, निद्रा और मैथुन तीन प्राकृतिक कर्म माने गए हैं। शेक्सपीयर ने नींद को जिंदगी का सबसे महान पोषक माना है। यह तो हम सभी जानते हैं कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए नींद और आराम निहायत जरूरी है, लेकिन ऐसे कितने भाग्यवान लोग हैं, जिन्हें रातभर चैन की नींद आती है?

प्राचीन समय से ही स्वस्थ रहने के नियमों में सबसे पहला स्थान नींद का रहा है। मानव शरीर की यही खासियत है कि दिनभर की शारीरिक थकान की भरपाई रातभर की नींद में पूरी हो जाती है। जो लोग रात में नहीं सोते उन्हें किसी न किसी तरह दिन में इसकी भरपाई करना जरूरी होता है। हर साल लाखों सड़क दुर्घटनाएँ उनींदे ड्राइवरों के कारण होती हैं।

* कितनी नींद जरूरी

इस पर कई मतभेद हैं। आधुनिक युग से पहले यानी 1920 के आसपास यूके में माना जाता था कि 9 घंटे की नींद तरोताजा रहने के लिए जरूरी है। अब ऐसा नहीं है। अब साढ़े सात घंटे की नींद को ही विशेषज्ञ पर्याप्त मानते हैं। कई विद्वानों का मानना है कि 6 घंटे की नींद वयस्क मानव शरीर के लिए पर्याप्त है। शर्त यही है कि उसे नींद दवाओं की मदद से नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से आए।

* क्या होती है नींद

नींद के कई चरण होते हैं। मात्र दस मिनट में ही जागृत अवस्था के हल्की नींद की ओर जाने को स्टेज वन श्रेणी की नींद माना गया है। स्टेज टू पहले से गहरी होती है, जो 20 मिनट तक रहती है। नींद के तीसरे और चौथे चरण को गहरी नींद माना गया है। नींद के इसी हिस्से में शरीर और दिमाग को आराम मिलता है और दिनभर की थकान मिटती है। नींद के इस हिस्से में दिमाग से डेल्टा लहरें उत्पन्न होती हैं, इसलिए इसे डेल्टा वेव भी कहा जाता है। इस अवधि में कोई सपने नहीं आते। 90 मिनट की गहरी नींद के बाद रैपिड आई मूवमेंट शुरू होता है। सामान्य नींद में लोग इसके कई बार कई चरणों से होकर गुजरते हैं। दिक्कत तब उत्पन्न होती है, जब यह पैटर्न बदल जाता है।

* नींद का दुरुपयोग

आधुनिक युग में नींद का सबसे अधिक दुरुपयोग किया जाता है। लोग बेडरूम का इस्तेमाल सिर्फ सोने के लिए नहीं, बल्कि दूसरे कामों के लिए भी करने लगे हैं। अक्सर शिकायत करते हैं कि रात को देर से खाते हैं, इसलिए जागना पड़ता है। कई बार पालक यह शिकायत करते हैं कि बच्चे जगते रहते हैं, इसलिए हमें भी जागना पड़ता है। यह प्रकृति की नियामत का दुरुपयोग है।



टीवी सीरियल देखना या देर रात तक फिल्में देखने से नींद का पैटर्न बदल जाता है। दिन भर की थकावट निकल ही नहीं पाती है और दूसरा दिन सामने आ खड़ा होता है। जब रात में नींद ठीक से नहीं होती है तब चिड़चिड़ापन घर करने लगता है। एसीडिटी तथा अन्य शारीरिक समस्याएँ तो साथ आती ही हैं। अक्सर देखा गया है कि जो लोग रात को भरपूर नींद नहीं सोते, उन्हें दिन में नींद के झोंके आते रहते हैं। शरीर किसी न किसी तरह अपने नींद के कोटे की भरपाई कर लेना चाहता है, लेकिन आधुनिक जीवन की जरूरतें उसे पीछे धकेलती रहती है।

* नहीं होती नुकसान की भरपाई

नींद की कमी की भरपाई होना मुश्किल होता है। यदि आप सोमवार से शुक्रवार तक काम में मसरूफ रहते हैं और रातों की नींद के कुछ घंटों की बलि चढ़ा देते हैं तो उसकी भरपाई शनिवार को चंद घंटे अधिक सोने से नहीं होगी। नींद के विषय को गंभीरता से लेना जरूरी है। ताकि मन और शरीर स्वस्थ बना रहे। कार्यकुशलता और क्षमता भी बरकरार रहे। थकान के कारण शरीर पूरी क्षमता से काम नहीं करता है।

दवाओं का दुरुपयोग

नींद की कमी को पूरा करने के लिए नींद लाने वाली दवाओं का सेवन करते हैं, किन्तु इनसे मिलने वाली नींद साधारण नींद ना होकर नशा होती है। इसमें नींद के प्राकृतिक गुण नहीं होते। इससे नींद से मिलने वाले लाभों से वंचित रह जाते हैं।

सावधानी:

* खाना जल्दी खाएँ।

* दूध में शहद डाल कर पीने से नींद अच्छी आती है।

* संतोषी मन बना कर सोएँ तो अच्छी नींद आएगी।

* रात को स्नान करके सोने से भी नींद अच्छी आ सकती है

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