Grab the widget  IWeb Gator

मंगलवार, 26 मई 2009

अब भैंस खाएगी हर्बल बिस्किट



छिंदवा़ड़ा। चारा, भूसा और खली-चुनी के साथ अब गाय भैसों को जायकेदार "हर्बल बिस्किट" खाने को मिलेंगे। 16 किस्मों की जड़ी-बूटी से तैयार यह बिस्किट दुधारू पशुओं की दूध क्षमता ब़ढ़ाने में सहयोगी साबित होगा। पातालकोट में निवास करने वाले आदिवासी भुमकाओं के पारंपरिक ज्ञान को मूर्तरूप देकर छिंदवा़ड़ा निवासी डॉ. दीपक आचार्य ने औषधीय विज्ञान की दुनिया में एक प्रभावी सफलता हासिल की है।

जिले के पहुँचविहीन गाँवों में आदिवासी समाज के भुमका अपने पारंपरिक ज्ञान से मनुष्य और जानवरों की लाइलाज बीमारियों का उपचार देशी ज़ड़ी-बूटियों के सहारे करते हैं। ग्रामीण संस्कृति के इस अनमोल ज्ञान को सहेजने के लिए छिंदवा़ड़ा निवासी डॉ. दीपक आचार्य दस साल से पातालकोट क्षेत्र में रहने वाले भुमकाओं के पारंपरिक औषधीय ज्ञान का अध्ययन करते रहे। उन्होंने इस अवधि में लगभग बीस हजार नुस्खे और हर्बल फार्मूले एकत्र किए। अपना जीवन आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान और औषधीय विज्ञान को समर्पित करते हुए डॉ. दीपक ने समस्त नुस्खों और फार्मूलों का पेटेंट भुमकाओं के नाम करा लिया।

यह उत्पाद एक उत्प्रेरक की तरह कार्य करता है, जो जानवर की पाचक क्षमता और दूध बनाने की प्रक्रिया का ब़ढ़ाता है। प्रतिदिन दो बिस्किट रोटी में जानवरों को आसानी से खिलाए जा सकते हैं।
- डॉ. दीपक आचार्य

क्या है बिस्किट में

यह बिस्किट 16 किस्म की ज़ड़ी-बूटियों से तैयार किया गया। इसमें खैर, बबूल, शतावरी, धनिया, अजवायन, सौंफ, गन्ना, महुआ, बिदारी कंद, तिल, सुर्पखा, गुडुची, हर्रा, जीवंती, आँवला और जीरा शामिल है।
- जगदीश पंवार
साभार - वेबदुनिया. कॉम

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

 

बाल जगत |:|संघ साधना द्वारा संचालित |:| Copyright © 2009 Flower Garden is Designed by Ipietoon for Tadpole's Notez Flower Image by Dapino