गोटू और मोटू जोकर डंबो सर्कस में काम करते थे। वे दोनों अच्छे मित्र थे। गोटू बहुत लंबा और पतला था, जबकि मोटू छोटा व मोटा था।
एक दिन गोटू और मोटू सर्कस में करतब दिखा रहे थे। गोटू हवा में साबुन के बुलबुलों को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। यह देख कर बच्चे हँसते हुए तालियाँ बजाने लगे।
उसी समय अचानक गोटू ने थोड़ासा साबुन वाला पानी जमीन पर उड़ेल दिया। फिर जैसे ही मोटू बुलबुले को पकड़ने के लिए ऊपर की ओर कूदा, फिसल कर नीचे गिर गया।
मोटू दर्द के कारण जोरजोर से चिल्लाने लगा, ''हाय, मैं मर गया।''
गोटू और सर्कस देखने वाले बच्चों ने सोचा कि यह उसका दूसरा करतब है। इसलिए वे जोर जोर से हंसने लगे।
लेकिन मोटू को बहुत चोट आई थी। वह इस कारण भी दुखी था कि गोटू उस पर हँस रहा है। तभी उसने गोटू को सबक सिखाने का निश्चय किया।
'शो' के बाद उस रात जैसे ही सब लोग रात के खाने के लिए इकठ्ठे हुए, मोटू के दिमाग में एक विचार आया। उसने गोटू की प्लेट से २ पूड़ियाँ चुरा कर अपनी जेब में रख लीं। लेकिन गोटू को इस बात का पता न चला।
अगले दिन जब गोटू चमकीले लाल कपड़ों में शो के लिए तैयार हो रहा था, तभी मोटू ने उस की कमीज के पीछे पूड़ियों को लटका दिया। फिर उसने गोटू से कहा, ''जल्दी करो, शो के लिए तुम्हें देर हो रही है।''
गोटू जल्दी से अपनी कैप पहन कर तंबू से बाहर आया तो ३-४ कुत्तों ने उसके पीछे चलना शुरू कर दिया। गोटू हड़बड़ाता हुआ शो के लिए चल दिया। साथ ही कुत्ते भी भूंकते हुए उसके पीछे-पीछे चलने लगे। मोटू कोने में खड़ा हँस रहा था। तभी सर्कस मैनेजर ने उन दोनों को आवाज दी, ''गोटू मोटू तुम जल्दी से रिंग में जाओ।''
गोटू ने सर्कस कर्मचार्रियों की सहायता से कुत्तों से पीछा छुड़ाया और रिंग में पहुँचा। जब बच्चों ने गोटू की कमीज पर पूड़ियाँ लटकी देखीं तो उन्होंने सोचा कि यह भी उस के करतब का ही अगला भाग है। फिर एक पालतू कुत्ते ने पूड़ियों को सूंघ कर गुर्राना शुरू कर दिया।
लेकिन गोटू ने अपना खेल जारी रखा। उसने हवा में बुलबुले उड़ाने का करतब शुरू किया। मोटू बुलबुलों को पकड़ने के लिए कूदने लगा। तभी एकलंबा सा बुलबुला गोटू की कैप पर जा कर बैठ गया।
अब मोटू उछलने के बाद भी उसे नहीं पकड़ सका, क्योंकि उसका कद छोटा था। वह बुलबुले को पकड़ने के लिए नई योजना बनाने लगा। बच्चे उस दृश्य को देख कर बहुत खुश हो रहे थे। बाद में मोटू एक सीढ़ी लेकर आया और उसे गोटू के सामने लगा दिया। जब वह सीढ़ी पर चढ़ रहा था, तब एक दूसरा पालतू कुत्ता भीड़ में से बाहर आया और गोटू की कमीज पर लगी पूर्ड़ियों पर झपटा। उसने गोटू को भी काट लिया।
गोटू दर्द के मारे अपना संतुलन खो बैठा। गोटू, मोटू और कुत्ता सभी धड़ाम से गिर पड़े। अब दोनों जोकर दर्द के मारे चिल्ला रहे थे, जबकि बच्चे यह देख कर हँसने लगे।
फिर गोटू और मोटू जल्दी से रिंग से बाहर आए। दोनों को अस्पताल ले जाया गया।
मोटू ने गोटू से माफी मांगी और कहा, ''मैं नहीं जानता था कि मेरा यह मजाक हमें इस परेशानी में डाल देगा।'' अब मोटू और गोटू ने निश्चय किया कि वे फिर ऐसी शरारत कभी नहीं करेंगे।
तभी पीछे से आवाज आई, ''नहीं नहीं, ऐसा मत कहो। आज तुम दोनों की वजह से सर्कस का यह करतब बहुत कामयाब रहा है,'' सर्कस का मालिक मोटू और गोटू के लिए गुलदस्ता लिए खड़ा था।
गोटू व मोटू की आँखें खुशी के कारण चमकने लगीं।
शनिवार, 23 मई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
9 टिप्पणियाँ:
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है...
bahut hi achhi aur shikshaprad kahani
bahai
Very Good. Blog for children. Congratulations.
Avtar Meher Baba Ji Ki Jai and Lots of Love to You, All the Best
Chandar Meher
lifemazedar.blogspot.com
achha laga. mere blog par bhi aye.
्बच्चों के लिए अच्छा प्रयास
कविता, कहा्नी,्गज़ल,शेर,आर्ट एंव मेरे द्वारा संपादित पत्रिका के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है
bachapan ka ahsas huya. narayan narayan
बाल मन हेतु आपका ये प्रयास बहुत बढिया है....आभार
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
bhot sundar..end ka pata hi nahi chal ab aagaya.,waah khub
एक टिप्पणी भेजें