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शनिवार, 21 नवंबर 2009

टि‍मटिम करते तारे


गर्मी का मौसम, रात का समय, खुली छत पर मंद-मंद बहती ठंड मदमस्त हवा में जो आनंद और सुख मिलता है, ऐसा और कहाँ?यह आनंद उस समय और भी बढ़ जाता है, जब अँधेरी रात के साफ आसमान में हजारों, लाखों, करोड़ों की संख्‍या में टिमटिमाते जगमगाते तारे एक ऐसी अद्‍भुत दुनिया का दृश्य प्रस्तुत करते हैं जिसके न आरंभ का पता चलता है और न अंत का।सदियों से अनेक मनीषी, ऋषि और वैज्ञानिक इन्हें निहारते चले आ रहे हैं, परंतु रहस्य अभी तक बना हुआ है। तारों की...

मंगलवार, 28 जुलाई 2009

संत की सीख


यह उस समय की कथा है , जब गुलामी प्रथा प्रचलित थी। एक मस्तमौला संत थे। वह हर समय ईश्वर के स्मरण में लगे रहते थे। एक बार वह किसी जंगल से गुजर रहे थे, तभी गुलामों का कारोबार करने वाले एक गिरोह की निगाह संत पर पड़ी। गिरोह के सरगना ने जब संत का स्वस्थ शरीर देखा तो सोचा कि इस व्यक्ति की अच्छी कीमत मिल जाएगी। उसने तय किया कि उन्हें पकड़कर बेच दिया जाए। उसके इशारे पर गिरोह के सदस्यों ने संत को घेर लिया। संत ने कोई विरोध नहीं किया। गिरोह...

मन की गांठें


एक व्यापारी के पास पांच ऊंट थे, जिन पर सामान लादकर वह शहर-शहर घूमता और कारोबार करता। एक बार लौटते हुए रात हो गई। वह एक सराय पर रुका और एक पेड़ से ऊंटों को बांधने लगा। चार ऊंट तो बंध गए मगर पांचवें के लिए रस्सी कम पड़ गई। व्यापारी परेशान हो गया। जब उसे कुछ नहीं सूझा तो उसने सराय मालिक से मदद मांगने की सोची। तभी उसे सराय के दरवाजे पर एक फकीर मिला, जिसने व्यापारी से पूछा, 'बताओ, क्या परेशानी है?' व्यापारी ने उसे अपनी समस्या बताई...

रविवार, 5 जुलाई 2009

चरणदास चोर


'चरणदास चोर' यह फिल्म मैंने दो साल पहले देखी थी। बहुत प्यारी फिल्म है। फिल्म देखने के बाद मैंने तय किया था कि किसी भी हाल में सच बोलूँगा। यह फिल्म का प्रभाव है। फिल्म सिर्फ यही एक बातनहीं बताती बल्कि और भी कई बातें सिखाती हैं। फिल्म शुरू करने के पहले कहानी के बारे में भी कुछ मजेदार बातें जान लो। जैसे इसकी असल कहानी एक राजस्थानी लोककथा के आधार पर विजयदान देथा ने लिखी। वे विजयदान देथा की कहानी पर हबीब तनवीर साहिब ने छत्तीसगढ़ का...

दीमक लकड़ी कैसे पचा लेती है?


पेड़-पौधों में पाया जाने वाला सेलुलोज ही दीमक का भोजन होता है। इसलिए वे तमाम चीजें दीमक का भोजन होती हैं जिनमें सेलुलोज होता है। बहुत सी सूखी लकड़ी पर तुमने दीमक का घर बना देखा होगा। लकड़ियों के बने फर्नीचर, कॉपी-किताबों जैसी बहुत सी चीजों को दीमक चट कर जाती है और फिर वह सामान किसी काम का नहीं रह जाता। दीमक जो सेलुलोज भोजन के रूप में प्राप्त करती है उसे पचा पाने की क्षमता उसमें नहीं होती है। इसे पचाने के लिए दीमक को दूसरे जीव...

शुक्रवार, 26 जून 2009

विल्मा रूडोल्फ : दृढ़निश्चय से विजय


घटना है वर्ष 1960 की। स्थान था योरप का भव्य ऐतिहासिक नगर तथा इटली की राजधानी रोम। सारे विश्व की निगाहें 25 अगस्त से 11 सितंबर तक होने वाले ओलिंपिक खेलों पर टिकी हुई थीं। इन्हीं ओलिंपिक खेलों में एक बीस वर्षीय अश्वेत बालिका भी भाग ले रही थी। वह इतनी तेज दौड़ी कि 1960 के ओलिंपिक मुकाबलों में तीन स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया की सबसे तेज धाविका बन गई।रोम ओलिंपिक में 83 देशों के 5346 खिलाड़ियों में इस बीस वर्षीय बालिका का असाधारण पराक्रम...

शौर्य गाथा : लान्सनायक कर्मसिंह


बार बार शिकस्तशिव कुमार गोयल13 अक्टूबर, 1948 को पाकिस्तानी हमलावरों ने कबाइलियों के रूप में, कश्मीर के तिथवाल क्षेत्र पर अचानक भीषण हमला बोल दिया।तिथवाल क्षेत्र की अंतिम चौकी पर सिख रेजिमेंट के लान्सनायक कर्मसिंह अपने बहादुर जवानों के साथ सजग प्रहरी के रूप में तैयार थे। भारतीय जवानों ने हमलावरों को फुर्ती के साथ ऐसी मार दी‍ कि वे सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए। सिख जवानों ने 'सत् श्री अकाल' के गगनभेदी उद्‍घोषों के साथ दुश्मन का...

रवींद्र सेतू यानी हावड़ा ब्रिज!


हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाला हावड़ा ब्रिज जब बनकर तैयार हुआ था तो इसका नाम था न्यू हावड़ा ब्रिज। 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम रवींद्र सेतू कर दिया गया पर प्रचलित नाम फिर भी हावड़ा ब्रिज ही रहा। हुगली नदी पर बना यह पुल हावड़ा और कोलकाता को आपस में जोड़ता है। इसके पहले हुगली नदी पर तैरता पुल था। पर नदी में पानी बढ़ जाने पर इस पुल पर जाम लग जाता था। 1933 में इसकी जगह बड़ा ब्रिज बनाने का निर्णय हुआ।...

पहेलियाँ ही पहेलियाँ


बृजमोहन गोस्वामी1. तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी,न भाड़ा न किराया दूँगी,घर के हर कमरे में रहूँगी,पकड़ न मुझको तुम पाओगे,मेरे बिन तुम न रह पाओगे,बताओ मैं कौन हूँ?2. गर्मी में तुम मुझको खाते,मुझको पीना हरदम चाहते,मुझसे प्यार बहुत करते हो,पर भाप बनूँ तो डरते भी हो।3. मुझमें भार सदा ही रहता,जगह घेरना मुझको आता,हर वस्तु से गहरा रिश्ता, हर जगह मैं पाया जाता4. ऊपर से नीचे बहता हूँ,हर बर्तन को अपनाता हूँ, देखो मुझको गिरा न देना वरना कठिन हो...

मंगलवार, 16 जून 2009

नारियल पानी का नहीं कोई सानी


यदि आपसे पूछा जाए कि नारियल किस-किस काम आता है तो आपका पहला जवाब होगा पूजा में श्रीफल के रूप में। हिन्दी फिल्मों में तो नारियल पानी हीरो-हीरोइन के बीच रोमांस दर्शाने का भी एक माध्यम है। हीरो-हीरोइन अक्सर सिर भिड़ाकर एक ही नारियल से पानी पीते नजर आते हैं। पर इस नारियल की कहानी सिर्फ इतनी-सी नहीं है। यह एक अत्यंत गुणकारी फल है, जो कई शारीरिक...

पढ़ाई चालीसा


दिलीप भाटियाबेटा पढ़। आगे पढ़। बेटी तू भी पढ़। सुंदर भविष्य गढ़।।समय है मूल्यवान। अच्छे कामों पर दे ध्यान।।बना टाइम टेबिल। पढ़ लिखकर बन काबिल।।प्रतिदिन स्कूल जा। घर से होमवर्क करके ला।।जिस कक्षा में है उतने घंटे पढ़। हर विषय को ध्यान देकर पढ़।गणित की एक प्रश्नावली प्रतिदिन कर। अँग्रेजी के दस नए शब्द प्रतिदिन याद कर।।रट मत। ध्यान से समझ।।लिखकर नोट्‍स बना। परीक्षा के दिन दोहरा।।रात को जल्दी सो जा। पढ़ने को सुबह जल्दी उठ जा।।मॉडल...

रक्तदान की महत्ता समझनी होगी


भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त जरूरीआनंद सौरभविश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज दम तोड़ देते हैं। खून के एक यूनिट से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है।विश्व रक्तदान दिवस समाज में रक्तदान...

अम्मा से वह आख़िरी मुलाक़ात


अम्मा से वह आख़िरी मुलाक़ात सुपरिचित कथाकार मंज़ूर एहतेशाम इन दिनों अपने नए उपन्यास की रचना में लगे हुए हैं. प्रस्तुत है इस उपन्यास ‘बिगाड़’ का एक अंश....बात बिगड़नी तो शायद काफ़ी पहले, जब उसने जायदाद में अपने हक़ का यूँ ही सरसरी तौर पर ज़िक्र किया था, शुरू हो गई थी लेकिन उसकी संजीदगी का शुरू में खुद उसे अंदाज़ा नहीं हुआ था.पिछले कुछ साल...

चश्मा - हिमांशु जोशी


मैंने अभी घर की देहरी पर पाँव रखा ही था कि शाश्वत ने धनी की तरफ, शिकायत से देखते हुए कहा, ‘कह दूँ, दादाजी से...’ रहस्यमय ढंग से वह धनी की ओर देखता रहा, देर तक!धनी अचकचाया. शायद इस अप्रत्याशित आक्रमण के लिए तैयार नहीं था. बोला कुछ भी नहीं पर उसके मन का दबा हुआ आक्रोश रह-रहकर आँखों की राह झाँक रहा था.बर्फ़ की फ़ुहारों से भीगा मफ़लर, दस्ताने...

सोमवार, 15 जून 2009

'स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी' फ्रांस ने दी?


अमेरिकी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर 1876 में फ्रांस की तरफ से स्मारक के तौर पर अमेरिका को स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी भेंट किया गया था। यह स्टेच्यू दोनों देशों की मित्रता का प्रतीक है। 'स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी' इसका प्रचलित नाम हो चुका है जबकि इस स्टेच्यू को जिस तौर पर फ्रांस ने भेंट किया था वह है - 'लिबर्टी इनलाइटिंग द वर्ल्ड'।यह स्टेच्यू अमेरिका...

आर्यभट्‍ट कौन थे?


भारत के प्रथम कृत्रिम उपग्रह का नाम आर्यभट्‍ट रखा गया था। यह नाम हमारे देश के एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और गणितज्ञ के नाम पर रखा गया था। 360 किलो का यह उपग्रह अप्रैल 1975 में छोड़ा गया था। आर्यभट्‍ट ने पाई का काफी सही मान 3.1416 निकाला। उन्होंने त्रिकोणमिति में व्यूत्क्रम साइन फंक्शन के विषय में बताया। उन्होंने यह भी दिखाया कि खगोलीय पिंडों...

शनिवार, 13 जून 2009

हमारा क्या है


हम तो जी मुर्गेमुर्गियाँ हैंहमें ऐसे मार दो या वैसे मार दोहलाल कर दो या झटके से मार दोचाहो तो बर्ड फ्लू हो जाने के डर से मार दोमार दो जी, जीभरकर मार दोमार दो जी, हज़ारों और लाखों की संख्या में मार दोपरेशान मत होना जी, यह मजबूरी है हमारीकि मरने से पहले हम तड़पती ज़रूर हैं.चीख़ती-चिल्लाती ज़रूर हैंचेताती हैं ज़रूर कि लोगो, भेड़-बकरियो और मनुष्यो...

बुधवार, 10 जून 2009

मन्नो का ख़त


कहानीउस दिन शिवालिक की पहाड़ियों के आँचल में पहुँचते-पहुँचते साँझ हो गई. मुझे अगले दिन पता चला कि मैं थोड़ा और चल लेता तो मुझे नहर के डाक बंगले में शरण मिल सकती थी. पर तब तक सूरज बिल्कुल डूब गया था और पहाड़ियाँ धुंध के कारण मटमैली दिखाई देने लगी थी.मैं चिंतित होकर आगे बढ़ रहा था कि अब रात घिरने लगी है आश्रय मिलेगा भी तो कहाँ? तभी एक बूढ़ा...

गुरुवार, 4 जून 2009

डांस थेरेपी से दूर करें लाइलाज बीमारी


नई दिल्ली. डांस सिर्फ कला ही नहीं, एक थेरेपी भी है। शरीर के सात महत्वपूर्ण अंगों का सातों भावों से सीधा संबंध होता है। यही वजह है कि न सिर्फ इस फील्ड में तमाम अनुसंधान चल रही हैं, बल्कि स्ट्रेस से लेकर डायबीटीज, स्पॉंडिलाइटिस और मोटापे तक के इलाज में इस थेरेपी की मदद ली जा रही है।क्लासिकल डांसर नलिनी कमलिनी व हार्ट केयर फाउंडेशन द्वारा ‘स्वास्थ्य...

कहानी : अपूर्णा


“बोलो बिट्टू, तोमार नाम की? बोलो।” दादी ने पूछा तो बिट्टू ने अपनी बड़ी-बड़ी भोली आखें दादी के पोपले चेहरे पर टिका दीं। दादी ने उसे पुचकारा, ”बिट्टू बोलो, आमार नाम हिम।” पर हिम नहीं बोला। दादी के गले में बाहें डाल हंसता रहा, जैसे अपना नाम बोलने में कोई गुदगुदी होती हो।दादी ने फिर समझाना चाहा, पर हिम वैसे ही नटखट-सा मुस्कराता रहा। फिर एकाएक...

इंटेलिपीडिया क्या है?


ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया विकिपीडिया की तरह इंटेलिपीडिया ऑनलाइन सिस्टम है जिसका उपयोग अमेरिकी सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियाँ और गुप्तचर विभाग करता है। इस इंटेलिपीडिया का उपयोग अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभाग जानकारियों के आदान-प्रदान और जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं। आम अमेरिकी जनता इसका उपयोग नहीं कर पाती है। इसकी शुरुआत अमेरिकी इंटेलीजेंस में जार माने जाने वाले जॉन निग्रोपॉन ने की थी। सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले...

३-जी टेक्नोलॉजी क्या है?


थ्री-जी से सीधा अर्थ है टेलीकम्युनिकेशन में तीसरी पायदान। मोबाइल फोन की पहली और दूसरी जेनरेशन ने संचार जगत में जो क्रांति की , ३-जी उसी का विस्तार है। पहली जेनरेशन के मोबाइल फोन के जरिए लोग एक दूसरे से बात तो कर सकते थे पर फोन को टेलीफोन नेटवर्क में जोड़ना पड़ता था। दूसरी जेनरेशन के मोबाइल फोन के जरिए यूजर्स को ज्यादा सुविधा मिली और सेलफोन डिजिटल नेटवर्क की मदद से चलने लगे। आज मोबाइल फोन ने हमारी दुनिया में क्रांति कर दी है। 3-जी...

बुधवार, 3 जून 2009

सम्बलपुर एक्सप्रेस


‘‘साहेब, नमस्कार! आइए, चाह पी लीजिए’’गुप्ता जी थोड़े चिढ़ गए. शाम का टहलना अगर तेज़ कदमों से हो, गहरी साँसे लेते हुए, तभी उसका कुछ मतलब है. ऐसे रुकते-अटकते रहे... मगर एक अचरज ने इस चिढ़ को भुला दिया. ये पुकार तो सम्बल की है! सम्बल यानी सम्बलपुर एक्सप्रेस- सम्राट होटल में पानी सर्व करने वाला झक्की, हड़बड़िया उड़िया बेयरा. गुप्ता जी चाय से...

सोमवार, 1 जून 2009

दरवाज़ा अंदर खुलता है


कहानीइस जगह से थोड़ी ही दूर पर वह घर है. उस घर में सिर्फ़ एक दरवाज़ा है. वह दरवाज़ा घर के अंदर खुलता है. घर में न कोई खिड़की है, न रोशनदान है. चारों तरफ ऊँची-ऊँची दीवारें हैं और सिर्फ़ कच्चा आँगन. आँगन में एक कुआँ है. एक अमरूद का, एक करौंदे का और एक नीम का पेड़ है.नीम के पेड़ के चारों तरफ गोलाई में एक चबूतरा है. चबूतरे पर बीट पड़ी रहती है,...

रविवार, 31 मई 2009

शत्रुओं में फूट से अपना लाभ


किसी नगर में द्रोण नाम का एक निर्धन ब्राह्मण रहा करता था। उसका जीवन भिक्षा पर ही आधारित था। अतः उसने अपने जीवन में न कभी उत्तम वस्त्र धारण किए थे और न ही अत्यंत स्वादिष्ट भोजन किया था। पान-सुपारी आदि की तो बात ही दूर है। इस प्रकार निरंतर दुःख सहने के कारण उसका शरीर बड़ा दुबला-पतला हो गया था।ब्राह्मण की दीनता को देखकर किसी यजमान ने उसको दो...

भली सीख न मानने का बुरा फल


किसी स्थान पर उद्धत नाम का एक गधा रहता था। दिनभर वह धोबी के साथ रहकर उसके कपड़े ढोता था। रात को धोबी उसको छोड़ देता था और वह मनमाना इधर-उधर घूमा करता था। प्रातःकाल होते ही वह स्वयं ही धोबी के घर पर आ उपस्थित होता जिससे कि धोबी उस पर विश्वास करके उसको कभी बांधता नहीं था।इस प्रकार किसी दिन रात को खेत में चलते हुए उसकी मित्रता एक श्रृंगाल (सियार)...
 

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