Grab the widget  IWeb Gator

शुक्रवार, 26 जून 2009

विल्मा रूडोल्फ : दृढ़निश्चय से विजय


घटना है वर्ष 1960 की। स्थान था योरप का भव्य ऐतिहासिक नगर तथा इटली की राजधानी रोम। सारे विश्व की निगाहें 25 अगस्त से 11 सितंबर तक होने वाले ओलिंपिक खेलों पर टिकी हुई थीं। इन्हीं ओलिंपिक खेलों में एक बीस वर्षीय अश्वेत बालिका भी भाग ले रही थी। वह इतनी तेज दौड़ी कि 1960 के ओलिंपिक मुकाबलों में तीन स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया की सबसे तेज धाविका बन गई।

रोम ओलिंपिक में 83 देशों के 5346 खिलाड़ियों में इस बीस वर्षीय बालिका का असाधारण पराक्रम देखने के लिए लोग इसलिए उत्सुक नहीं थे कि विल्मा रूडोल्फ नामक यह बालिका अश्वेत थी अपितु यह वह बालिका थी जिसे चार वर्ष की आयु में डबल निमोनिया और काला बुखार होने से पीलिया हो गया था। इस कारण उसे पैरों में ब्रेस पहननी पड़ी। विल्मा रूडोल्फ नाम की यह लड़की ग्यारह वर्ष की उम्र तक चल-फिर भी नहीं सकती थी, लेकिन उसने एक सपना पाल रखा था कि उसे दुनिया की सबसे तेज धाविका बनना है। उस सपने को यथार्थ में बदलते देखने के लिए लोग दीवाने थे।

डॉक्टरों के मना करने के बावजूद विल्मा रूडोल्फ ने अपने पैरों की ब्रेस उतार फेंकी और स्वयं को मानसिक रूप से तैयार कर अभ्यास में जुट गई। उसने अपने सपने को मन में प्रगाढ़ किए हुए वह निरंतर अभ्यास करती रही। उसने अपने आत्मविश्वास को इतना ऊँचा कर लिया कि असंभव सी बात पूरी कर दिखलाई। एक साथ तीन स्वर्ण पदक हासिल कर दिखाए। सच यदि व्यक्ति में पूर्ण आत्मविश्वास है तो शारीरिक विकलांगता भी उसकी राह में बाधा नहीं बन सकती।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

 

बाल जगत |:|संघ साधना द्वारा संचालित |:| Copyright © 2009 Flower Garden is Designed by Ipietoon for Tadpole's Notez Flower Image by Dapino