भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त जरूरी
आनंद सौरभ
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज दम तोड़ देते हैं। खून के एक यूनिट से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है।
विश्व रक्तदान दिवस समाज में रक्तदान को लेकर व्याप्त भ्रांति को दूर करने का और रक्तदान को प्रोत्साहित करने का काम करता है। भारतीय रेडक्रास के राष्ट्रीय मुख्यालय के ब्लड बैंक की निदेशक डॉ. वनश्री सिंह के अनुसार देश में रक्तदान को लेकर भ्रांतियाँ कम हुई हैं पर अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है।
उन्होंने बताया कि भारत में केवल 59 फीसद रक्तदान स्वेच्छिक होता है। जबकि राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसद है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट खून की कमी है। डॉ. सिंह ने कहा कि इस तथ्य से कम ही लोग परिचित हैं कि खून के एक यूनिट से तीन जीवन बचाए जा सकते हैं।
रेडक्रास में रक्त देने आए दिल्ली के सरस्वती विहार के पंकज शर्मा पिछले कई सालों से स्वेच्छा से यह काम करते आ रहे है। उनका कहना है कि लोगों को रक्तदान की महत्ता समझनी होगी। यह महादान है।
सोनीपत हरियाणा के गबरुद्दीन 163 बार खून दे चुके हैं। भाषा को उन्होंने फोन पर बताया कि उनके जीवन का ध्येय रक्त देकर लोगों की सहायता करना है।
डॉ.वनश्री कहती हैं कि रेडक्रास में 85 फीसद रक्तदान स्वैच्छिक होता है और इसे 95 फीसद तक करने की कार्ययोजना है। सरकार और विभिन्न संगठनों को ब्लड कैंप और मोबाइल कैंप लगा कर लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना चाहिए। लोगों को बताना होगा कि रक्तदान का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं बल्कि यह आपको लोगों की जान बचाने वाला सुपरहीरो बनाता है।
सौजन्य से - भाषा
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