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शुक्रवार, 26 जून 2009

पहेलियाँ ही पहेलियाँ


बृजमोहन गोस्वामी

1. तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी,
न भाड़ा न किराया दूँगी,
घर के हर कमरे में रहूँगी,
पकड़ न मुझको तुम पाओगे,
मेरे बिन तुम न रह पाओगे,
बताओ मैं कौन हूँ?

2. गर्मी में तुम मुझको खाते,
मुझको पीना हरदम चाहते,
मुझसे प्यार बहुत करते हो,
पर भाप बनूँ तो डरते भी हो।

3. मुझमें भार सदा ही रहता,
जगह घेरना मुझको आता,
हर वस्तु से गहरा रिश्ता,
हर जगह मैं पाया जाता

4. ऊपर से नीचे बहता हूँ,
हर बर्तन को अपनाता हूँ,
देखो मुझको गिरा न देना
वरना कठिन हो जाएगा भरना।

5. लोहा खींचू ऐसी ताकत है,
पर रबड़ मुझे हराता है,
खोई सूई मैं पा लेता हूँ,
मेरा खेल निराला है।

उत्तर : 1. हवा 2. पानी 3. गैस 4.द्रव्य 5. चुंबक 6. काँच

गुरुवार, 28 मई 2009

बूझो तो जाने



अक्सर बुरा तनाव होता है
लेकिन मैं गुणकारी,
जल पर चीजो को तैरा दूँ
जिससे करता यारी |

मैं ऐसा गुण होता बच्चों
जो विधुत उपजाए,
उपस्थित आवेशो की भी
मेरा गुण दिखलाए |

श्वेत प्रकाश साथ रंगों का
पुंज जगत में प्यारा,
क्या कहते हैं सोच-समझकर
बोलो नाम हमारा |

पानी के तल पर क्यों सिक्का
उठा हुआ है दिखता,
मैं हूँ घटना कौन, हाथ
इसमें मेरा ही मिलता?

अति साधारण हूँ मशीन मैं
काम तुम्हारे आऊं,
कपडे काटूं, दुरी नापूं
सुविधाएँ दे जाऊं |


उत्तर - पृष्ट तनाव, घर्सन, वर्णक्रम, अपवर्तन, उत्तोलक
 

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