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गुरुवार, 4 जून 2009

डांस थेरेपी से दूर करें लाइलाज बीमारी



नई दिल्ली. डांस सिर्फ कला ही नहीं, एक थेरेपी भी है। शरीर के सात महत्वपूर्ण अंगों का सातों भावों से सीधा संबंध होता है। यही वजह है कि न सिर्फ इस फील्ड में तमाम अनुसंधान चल रही हैं, बल्कि स्ट्रेस से लेकर डायबीटीज, स्पॉंडिलाइटिस और मोटापे तक के इलाज में इस थेरेपी की मदद ली जा रही है।

क्लासिकल डांसर नलिनी कमलिनी व हार्ट केयर फाउंडेशन द्वारा ‘स्वास्थ्य में शास्त्रीय नृत्य की भूमिका’ विषय पर की गई अध्ययन में पाया गया कि स्वस्थ रहने में शास्त्रीय नृत्य व संगीत की अहम भूमिका होती है। क्योंकि इसमें प्रदर्शित होने वाले सभी आंतरिक भावों का संबंध शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण अंगों से होता है, इससे थायरॉयड ग्लैंड, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट व पेट से संबंधित बीमारियों का खतरा कम होने के साथ ही बुद्घि विकास तथा शारीरिक और सौंदर्य विकास भी होता है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके दवे कहते हैं कि डांस से शरीर का ब्लड सकरुलेशन ठीक रहता है। यही वजह है कि आजकल व्हील चेयर पकड़ चुके मरीजों पर भी इलाज के साथ डांस और यूजिक थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है।

नृत्य और शरीर के महत्वपूर्ण चक्रों का संबंध:

शरीर का पहला चक्र मुकुट के स्थान पर होता है, जिसका संबंध आशीर्वाद से होता है। दूसरा माथे के बीचोबीच बिंदी के स्थान पर होता है, इसका संबंध बुद्धि से होता है। तीसरा चक्र गर्दन में होता है, जिसका संबंध सच्चाई से होता है। चौथा चक्र दिल के पास होता है, जिसका संबंध प्रेम से होता है। पांचवां नाभि के पास होता है, जिसका संबंध संदेह से होता है।

छठां चक्र नाभि के नीचे होता है, जिसका संबंध जुड़ाव से होता है और सातवां चक्र मेरूदंड के पास होता है जहां रीढ़ की हड्डियां खत्म होती हैं, इसका संबंध डर से होता है।

यह भाव ऐसे करते हैं चक्रों को नियंत्रित

शास्त्रीय नृत्य में सभी सातों भावों को दर्शाया जाता है, जिसमें इससे जुड़े अंगों पर खिंचाव पड़ता है। मसलन आशीर्वाद का भाव लाने के लिए माथे पर, सच्चाई को प्रदर्शित करने के लिए गर्दन का और प्रेम को दर्शाने के लिए हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डाला जाता है।

इस प्रक्रिया में इन अंगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, रक्त संचार बढ़ता है, तनाव कम होता है और इम्यून सिस्टम भी स्ट्रॉंग होता है।

पुराना है डांस थेरेपी का इतिहास

डांस थेरेपी की शुरूआत 1940 में मैरियन चास ने अमेरिका में की थी। मैरियन एक प्रोफेशनल वेस्टर्न डांसर थी और वह डांस सिखाती भी थी। जब उसने देखा कि कुछ छात्र भावनाओं को प्रदर्शित करने में काफी दिलचस्पी रखते हैं जैसे अकेलापन, शर्माना और डर, तो उसने उन्हें डांस की तकनीक की जगह उनके मूवमेंट पर ज्यादा ध्यान दिया।

इसी दौरान कुछ डॉक्टरों ने उनके पास यह सोचकर बीमारों को भेजना शुरू किया कि उनका तनाव कम होगा और कुछ समय बाद मारिया रेड Rास सेंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल की डांस थेरेपिस्ट बन गईं। लेकिन थेरेपी को पहचान 1966 में अमेरिका डांस थेरेपी एसोसिएशन की स्थापना के बाद ही मिली।

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